प्राकर्तिक चिक्तिसक महत्व आती रूड हैं लेकिन आज लोग बगैर आयुर्वेद को जाने प्राकृतिक चिक्तिसक क्युकी हमारे शरीर पांच हावतीक शरीर हैं जो पृथ्वी जल तेज़ वायु और आकाश से बना हैं इसमें यह 5 अग्नि विकृत होजाती हैं तो इनके विकृति को दूर करने के लिए हमे पांच भूतात्मक करनी चाहिए . जब पृथ्वी अग्नि विकृत होती हैं तब हम मिटटी से इलाज करते हैं अगर जल अग्नि काम होती हैं तो पन्नी से इलाज करते एंड अगर तेज़ अग्नि कमज़ोर होती हं तोह अग्नि से इलाज करते हं अगर वायु अग्नि कमज़ोर होजाती हं तोह हवा से इलाज करते हं और आकाश अग्नि काम होती हं तोह हम लंघन करते हं , इसलिए नेचुरल पाठ्य में खा गया हं मिटी पानी धुप हवा सब रोगो की दवा . क्युकी शारीर में 13 प्रकार की अग्नि कार्य करती हं और उनमें सभी का विशेष महत्व हं जिसमें जेठ अगली प्रमुख हं अगर वोह विकृत होजाती हं तोह सभी अग्नि विकृत होजाती हं और अग्नि विकृत होने से और अन्य 12 प्रकार की अग्नि विकृत होने से शरीर में 120 प्रकार के रोग उत्पन होजाते हं और उन रोगो के मूल कारन को दुर्र करते हुए सभी रोगो को जोह जनम के पश्चात पैदा हुए हं उनको सरमूल नष्ट किया जा सकता हं चाहिए वोह आज के डॉक्टर्स के द्वारा बताया गया आसाध्य रोग ही क्यों नाह हो
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